Sunday 10 January 2010

Dohe

3 comments:

  1. wonderfull dohe
    अध् तुके सो ओलिहा....
    बेहद तुके सो पीर....
    अड़ बेहद मैंदान में....
    सोया दास कबीर....!

    शंशय सबको खात है.....
    संशय सबका पीर.....
    संशय की जो फाकी करे....
    उसका नाम फकीर......!

    हरीईईईई ओम्म्म्म
    हरी हरी ओम्म्म्म
    हरिही ओम्म्म्म

    भय नाशन दुरमति हरण
    कलि में हरी को नाम
    निष् दिन नानिक जो जपे
    सफल होवे सब काम

    हरीईईईई ओम्म्म्म
    हरी हरी ओम्म्म्म
    हरिही ओम्म्म्म

    गीता या श्लोक पाठे न
    गोविन्द सुम्रिदिही कीर्तन
    साधू दर्शन माथे न
    तिरहा कोटि फलं लावे

    हरीईईईई ओम्म्म्म
    हरी हरी ओम्म्म्म
    हरिही ओम्म्म्म

    नहं वसामि वैकुम्ठे
    योगी नाम हैधय नवी
    मद्भक्ता यत्र गायन्ति
    तत्र तिस्तामी नारद

    चतुर्विधा भजन्ते माम
    जन्हा सुक्रित्नो अर्जुन
    अर्तु जिज्ञासु अर्थारती
    ज्ञानी च भारदार्शत

    संघी साथी चल गए कोई नह निब्खो साथ ....
    कह नानिक यह विपत में टिके एक रगुनाथ ....

    दुःख में संगी बहुत हैं ....
    सुख में संघी ना कोई ...

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  2. हे प्रभु ! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये |शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये ||लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें |ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें ||हे प्रभु ......निंदा किसीकी हम किसीसे भूल कर भी न करें |इर्षा कभीभी हम किसीसे भूल कर भी न करें ||सत्य बोलें झूट त्यागें मेल आपस में करें |दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें |

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  3. हे प्रभु ......जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोगों के उपकार में |हाथ डालें हम कभी न भूलकर अपकार में ||हे प्रभु ......कीजिये हम पर कृपा अब ऐसी हे परमात्मा |मोह मद मत्सररहित होवे हमारी आत्मा ||हे प्रभु ......प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें |प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें ||हे प्रभु ......योगविद्या ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें |ब्रह्मविद्या प्राप्त करके सर्व हितकारी बनें ||

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